क्या महिलाएं पीरियड्स में पूजा करना वर्जित या पाप हैं? शास्त्रों के अनुसार जानें सच्चाई!

 क्या महिलाये पीरियड्स में पूजा कर सकते है:महिलाओं के पीरियड्स के विषय को लेकर लोगो में एक अलग राय है। लोग पीरियड( मासिक धर्म ) इसको एक गलत या गन्दी चीज जैसे देकते है। इसका मुख्या कारन यह भी है सांस्कृतिक मान्यता, लिंग भेद और सालो से चलती आ रही परंपरा। भारत जैसे देशो में जहा धर्म और सांस्कृतिक विरासतों को ज्यादातर महत्व दिया जाता है। समाज में लोग महिलाओ के पीरियड को लेकर और पीरियड के वक्त पूजा पाट को लेकर लोग अशुद्ध मानते है। तो अज् इस आर्टिकल में हम क्या महिलाये पीरियड्स में पूजा कर सकती है या नहीं, शश्त्रो और विघ्यान क्या कहते  है इसके बारे मे जानते है । 



क्या सच्च में महिलाये पीरियड में पूजा नहीं कर सकते है क्या कहते है शाश्त्र और विघ्यान : जैसे समाज के लोगो में अलग अलग राय है पीरियड (मासिक धर्म) को लेकर। अगर आप शाश्त्र और पुराण के हिसाब से इस विषय को देकते है तो महिलाओ को मासिक धर्म में पूजा करना मना  है। और विघ्यान  की बात करे तो यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जैसे सभी मानव  शरीर के बाकि प्रक्रिया होती है। ऐसे में महिलाये इस विशय को लेकर बहुत परेशां रहते है की पीरियड में पूजा करे या न करे और क्या पीरियड के 4  दिन बाद पूजा कर सकते  है। इन सभी चीजों पर बात करते है। 


Science /विघ्यान या शिक्षित जानकारी के हिसाब से  पीरियड या मासिक धर्म की मान्यता : अज कल के साइंस/ विघ्यान के हिसाब से महिलाये  पीरियड में पूजा करना कोई अशुद्ध नहीं है। विघ्यान को मानाने वाले लोग इस विषय को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के नजर से देकते है। इन लोगो के हिसाब से पूजा,भक्ति  मन से होता है न की शरीर से। अगर आप  पीरियड में पूजा पाठ  करना चाहते हो तो कर सकते हो इसमें कोई धार्मिक पाप या अशुद्धता नहीं लगता है। हां,पीरियड के वक्त आप स्वछता और शरीर की तकान और मानसिक शांति का ध्यान रकना होता है। 


शाश्त्र और पुराणों या सांस्कृतिक मान्यता  के हिसाब पीरियड या (मासिक धर्म) की मान्यता: सांस्कृतिक मान्यता या रूढ़िवादी के हिसाब से महिलाये पीरियड (मासिक धर्म ) में पूजा करना वर्जित माना  गया है। पीरियड में महिलाये पूजा करते है तो इसको अशुद और पाप माना  गया है।लेकिन देवी भागवत जैसे ग्रंथो में पीरियड को एक प्रकृति का पवित्र चक्र भी माना  गया है। 


कही विशेषग्न ये बताते है की पीरियड के वक्त महिलाओंकी ऊर्जा बहुत ज्यादा रहता है इसको बागवन भी सहन नहीं कर सकते है। इसलिए शाश्त्रो में  पीरियड के 3 दिन तक पूजा पाट मना  किया गया है।



पीरियड के वक्त पूजा पाठ को शरीर और मानसिक दृष्टि से कैसे देखे ? 

 पीरियड के वक़्त में महिलाओ के शरीर में होनेवाले हार्मोन  की बदलाव से महिलाओ को अनेक तरह के कठिनाओ से जूझना पड़ता है। मानसिक असंतुलन, चीड़-चीड़ होना ,पेट दर्द जैसे चीजो का सहन करना पड़ता है। इससे महिलाये किसी चीज़ पे या काम पे लक्ष्य को केंद्रित नहि कर पाते है। इसलिए महिलाये मासिक धर्म के वक्त पूजा पाठ नहीं कर पाते है।

 

इसके आलावा पीरियड में मंदिर जाना भी मना किया है। क्यों की मंदिर में लम्बी लाइन से दर्शन करना या पूजा पाठ करना शारीरिक टूर पर बहुत मुश्किल होता है। इसी वजह से पीरियड के दौरान महिलाओ को मंदिर जाना मना किया है। इसलिए महिलाये मासिक धर्म के वक्त अपने घर में ही पूजा पाठ करे। 

पीरियड में पूजा पाठ करे या न करे,किसका सही साइंस या शास्त्र ?


अगर आप साइंस या मॉडर्न विचारो को मने तो  महिलाओ में पीरियड एक प्राकृतिक प्रक्रिया है , पीरियड में पूजा पाठ को करना उचित माना जाता है। इससे कोई पाप या वर्जित नहीं मानते है। सिर्फ अपनी स्वछता और शरीर की ध्यान रखे। 


और यदि आप शास्त्र या पुराणों को या रूढ़िवादी को मानाने वालो में से है तो पीरियड में पूजा पाठ करना वर्जित है। पीरियड के 4 दिन तक कोई धार्मिक काम करने से पाप लगता है। मासिक धर्म में महिलाओ को मंदिर जाना भी वर्जित माना गया है। 


आज के दिन में क्या पीरियड में पूजा पाठ करना गलत है क्या ?

आज के आदुनिक समय में बहुत सी लोग धार्मिक काम ,पूजा पाठ इन सबको  से देकते है। इस आदुनिक दुनिया  के महिलाये बहुत सशक्त और जागरक है। इसलिए बहुत सी महिलाये अज के दिन पीरियड को एक प्राकृतिक प्रक्रिया ही समझते है। इसलिए महिलाये पीरियड के वक्त भी अपने घर में पूजा पाठ करते है। सभी तरह के धार्मिक कार्यो में भी जाते है। 

आगर आप आदुनिकता में जी रहे हो और इसके हिसाब से सोचते हो तो आप भी पीरियड के दौरान पूजा पाठ, धार्मिक काम सब कर सकते हो। इसमेव कोई वर्जित नहीं है। 


यदि आप पुराणों या रूढ़िवादी के हिसाब से रहते हो तो आपको कुछ नियमो का पालन जरूर करना होता है। आप छाए तो पीरियड के चौते दिन पूजा पाठ कर सकते हो। 


FAQ 

1 ) क्या महिलाये पीरियड में पूजा पाठ या  मंदिर नहीं जा सकते है ?

  धार्मिक ग्रंथो,शास्त्र और पुराने रीती रूढ़िवादी को देके तो महिला को पीरियड  मंदिर जाना वर्जित माना गया है। 


2) क्या अज्ज भी देश के सभी मंदिरो में पीरियड के महिलाओ को निषेद है ?

 अज के दिन देश के सभी मंदिरो में तो पीरियड के महिलाओको निषेद नहीं है। हां, कुछ मंदिर जिनको एक सुपर     गॉड पावर जैसे मानने वाले मंदिर जैसे सबरीमला अय्यप्पा स्वामी इन मंदिरो में प्रवेश निषेद है। 


3 )  महिला ये पीरियड के कितने  बाद पाठ कर सकते है  ? 

  महिलाये  पीरियड के 4 दिन बाद पूजा पाठ कर सकते  है। महिलाये चौते दिन स्नान करके स्नान करके धार्मिक कार्य या पूजा पाठ कर सकते है। 


4 ) पीरियड में पूजा करने से क्या होता है ?

  महिलाये पीरियड में पूजा करने से पाप लगता है और इसको अशुद्ध माना गया है पुराने शास्त्र और रूढ़िवादी के हिसाब से। 


5 ) शाश्त्रो के अनुसार मासिक धर्म या पीरियड को अशुद्ध क्यों माना गया है ?

  अगर शाश्त्रो या रूढ़िवादी के माने तो मासिक धर्म के वक्त महिलाओ से रक्त की स्राव होता है इसे रूढ़िवादी या परंपरा मानाने वाले लोग अशुद्ध मानते है। 


निष्कर्ष: हमने इस आर्टिकल में पीरियड के वक्त में महिलाये पूजा कर सकते है या नहीं, इसपर विज्ञानं और शाश्त्र का क्या राय है। आज के आदुनिक जीवन शैली में क्या वाकई महिलाये पुराने विचारो के साथ मेल कर सकते है इन सभी विषयो पर पूरा चर्चा किया है। हम उम्मीद करते है अब इन सभी विषयो को जानने के बाद आप अपने मन के हिसाब से पीरियड के दिन पूजा पाठ कर सकते है या नहीं इन पर निर्णय ले सकते है। 

अगर साइंस की माने तो भक्ति भाव से होता है मन से होता है न की शरीर से होता है। और शाश्त्र कहते है पीरियड के वक्त शारीरिक बदलाव के वजह से महिलाये ध्यान नहीं लगा सकते है। अज के महिलाये इन दोनों चीजों पर बैलेंस कर के अपना धार्मिक पूजा पाठ करते है। हम उम्मीद करते है हमारी यह कोशिश आपको लाभदायक होगा। 


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